Saturday 24 March 2012


                  क्या आपका स्मार्टफोन वाकई स्मार्ट है?



आईफोन, एंड्रोइड आधारित फोन और ब्लैकबेरी फोन स्मार्ट फोन की श्रेणी में आते हैं और इनके अपने लाभ भी हैं. परंतु ऐसा भी नहीं है कि ये स्मार्ट फोन समस्याएँ नहीं हैं. इन सभी प्रकार के स्मार्ट फोन्स के धारक कई प्रकार की परेशानियों का सामना करते हैं.

आईफोन एप्पल एक लोकप्रिय स्मार्ट डिवाइज़ है. लेकिन यह फोन भारत में देरी से आया है और अमेरिका की ही तरह सिर्फ दो मोबाइल ओपरेटरों के नेटवर्क को समर्थन देता है. यानी कि बाकी के नेटवर्क के उपभोक्ता इसका उपयोग नहीं कर सकते. आईफोन के साथ अन्य भी कई समस्याएँ है. आईफोन की बैटरी को निकाला नहीं जा सकता है इसलिए बैटरी संबंधित दिक्कत आने पर पूरे फोन को सर्विसिंग में देना पडता है. आईफोन की मैमरी को भी बढाया नहीं जा सकता है. हालाँकि आईफोन के साथ 32 जीबी तक मैमरी स्लॉट आता है. परंतु फिर भी यह एक बाधा तो है ही.

आईफोन के साथ सिग्नल की समस्या भी है. जैसा कि कई बार समाचारों में आता रहता है, अमेरिका सहित दूनिया भर के देशों में यह समस्या देखी गई है.

दूसरी तरफ ब्लैकबेरी फोन के उपभोक्ताओं को अलग से डेटा प्लान लेना पडता है. यानी कि वे आम जीपीआरएस या डेटा प्लान के ऊपर अपने ब्लैकबेरी फोन पर इंटरनेट ब्राउज नहीं कर पाते. ब्लैकबेरी के मात्र ईमेल प्लान की कीमत भी आम जीपीआरएस प्लान से 3 गुना अधिक है. हालाँकि ब्लैकबेरी प्रयोक्ता इंटरनेट सेटिंग बदल कर ब्लैकबेरी पर आम जीपीआरएस प्लान भी चला सकते हैं परंतु फिर उन्हें लोकप्रिय पूश ईमेल सुविधा से वंचित रहना पडता है. ब्लैकबेरी का टचस्क्रीन ओएस भी उतना कारगर नहीं है. इसमें कई प्रकार की समस्याएँ देखी गई है.

एंड्रोइड आधारित फोनों के साथ एक बडी समस्या यह है कि सभी फोन उत्पादक कम्पनियाँ अपने अपने हिसाब से इसका उपयोग करती हैं और इससे इसका कोई मानक तय नहीं है. इससे सबसे अधिक परेशानी एंड्रोइड आधारित अप्लिकेशन बनाने वाली कम्पनियों को होती है, क्योंकि उन्हें ना ना प्रकार के स्क्रीन रिजोल्यूशन और डिवाइज़ हार्डवेर के अनुसार अपनी अप्लिकेशन को ढालना पडता है. यह एक वजह है कि एंड्रोइड आधारित गेमिंग कोंसोल काफी कम है और अप्लिकेशन्स भी।

Saturday 28 January 2012

                                          क्लासरुम गैजेट


हर स्टूडेट के लिए क्लास के लेक्चर और उसके नोट्स बहुत जरूरी होते है। इन दिनों ऐसे कई गैजेट्स है, जो स्टूडेट्स की स्टडी में बेहद मददगार साबित हो सकते है। जानते है ऐसे गैजेट्स के बारे में..
एक स्टूडेंट के लिए क्लास रूम का एक-एक लेक्चर मायने रखता है। अगर लेक्चर को याद रखना हो तो उसके लिए जरूरी हैं नोट्स। गैजेट व‌र्ल्ड में ऐसे कई गैजेट हैं, जो विद्यार्थियों की पढ़ाई में काफी फायदेमद साबित हो सकते हैं। ये गैजेट्स न केवल उनकी पढ़ाई में मदद करेंगे, बल्कि उन्हें हाईटेक बनाने में भी मदद करेंगे :
टेबलेट
दोस्तो, इस मॉडर्न एज गैजेट ने कंप्यूटिंग की स्टाइल ही बदल दी है। सस्ती टेबलेट डिवाइस 'आकाश' टीनएजर्स में काफी पॉपुलर हो रही है। 7 और 10 इंच की स्क्रीन वाली यह डिवाइस आपकी कई समस्याएं चुटकियों में हल कर सकती है। इस पर न केवल आप चलते-फिरते ईमेल और नेट सर्फिंग कर सकते हैं, बल्कि सिलेबस से सबधित ईबुक्स, नोट्स भी पढ़ सकते हैं। टीचर्स के लाइव लेक्चर्स भी अटेंड कर सकते हैं और यूट्यूब जैसी साइट से सिलेबस से सबधित वीडियोज भी देख सकते हैं। वहीं इसमें वर्ड, एक्सल और पॉवरप्वाइंट के इंटीग्रेशन से अपनी क्रिएटिविटी को नया लुक दे सकते हैं। बाजार में इन दिनों मौजूद टेबलेट्स की कीमत ढाई हजार से लेकर 35 हजार रुपये तक है।
नोटबुक/नेटबुक
टेबलेट जहा स्माल कंप्यूटिंग के लिए बेस्ट है, वहीं मल्टीटॉस्किंग के लिए नोटबुक या नेटबुक बेस्ट है। ये डिवाइसेज प्रोफेशनल और क्रिएटिव स्टूडेंट्स की पहली पसंद हैं। इनकी मदद से डिस्टेंस स्टडी भी कर सकते हैं। साथ ही, मल्टीमीडिया जैसे हैवी काम के लिए नोटबुक को प्राथमिकता दे सकते हैं। इनमें स्टूडेंट्स अपने लेक्चर्स भी सेव कर सकते हैं। दरअसल, टेबलेट के साथ मेमोरी की प्रॉब्लम है, जबकि नोटबुक या नेटबुक के साथ ऐसा नहीं है।
एक्सटर्नल हार्डडिस्क
आपके पास नेटबुक हो या नोटबुक, एक पोर्टेबल हार्डड्राइव आपका डाटा बैकअप बनाने में हमेशा मदद करेगी। क्योंकि नेटबुक, नोटबुक या टेबलेट में डाटा स्पेस लिमिटेड होता है। वहीं फॉर्मेट होने की स्थिति में डाटा लॉस का खतरा रहता है। बाजार में 320 जीबी से लेकर 3 टीबी की हार्डडिस्क मौजूद है, वहीं वाई-फाई हार्डडिस्क भी लॉन्च हो चुकी है, जिसमें यूएसबी पोर्ट से कनेक्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती।
पेनड्राइव
स्कूल या कॉलेज रोजाना एक्सटर्नल हार्डडिस्क ले जा सकना सभव नहीं है। ऐसे में पेनड्राइव काफी हेल्प कर सकती है। छोटे-मोटे प्रेजेंटेशन हों या स्कूल प्रोजेक्ट, आसानी से पेनड्राइव में कैरी कर सकते हैं। इन दिनों 2 से 32 जीबी तक की कॉमन पेनड्राइव्स के अलावा फुटबॉल, कार्टून वगैरह की शेप वाली डिजाइनर पेनड्राइव्स भी उपलब्ध हैं।
वाई-फाई या नेट डोंगल
इंटरनेट के बिना पढ़ाई असभव है। नेट आपकी स्टडी में काफी मदद कर सकता है। फिक्स्ड लाइन राउटर से एक वक्त में एक ही व्यक्ति नेट एक्सेस कर सकता है। लेकिन वाई-फाई राउटर से आप घर के किसी भी कोने में नेट एक्सेस कर सकते हैं। वहीं दूसरे लोग भी नेट से कनेक्ट रह सकते हैं। वाई-फाई के अलावा एक और ऑप्शन है नेट डोंगल का। इससे घर के अंदर और बाहर भी नेट एक्सेस कर सकते हैं।
पॉकेट स्कैनर
कई बार ऐसा होता है कि स्टूडेट्स को अचानक किसी नोट्स या बुक की फोटोकॉपी कराने की जरूरत पड़ जाती है। पेन स्कैनर इस दिक्कत को दूर कर सकता है। नोट्स की फोटोकॉपी कराने की बजाय स्टूडेट्स उन्हें स्कैन कर सकते हैं। यह पीडीएफ फॉर्मेट में स्कैन करता है। बाद में पेन को पीसी से सिक करके नोट्स को हार्डडिस्क में सेव कर सकते हैं। जल्द ही ऐसे माउस बाजार में आने वाले हैं, जो माउस के साथ-साथ स्कैनर का भी काम करेंगे। इन्हे किसी भी सरफेस पर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
पेन डिक्टाफोन
क्लास में लेक्चर रिकॉर्ड करना चाहते हैं, तो पेन डिक्टाफोन सबसे अच्छा है। स्टूडेट्स क्लास में पढ़ाए जाने वाले लेक्चर्स या क्लासेज को आसानी से पेन में रिकॉर्ड कर सकते हैं। पेन में ईयरफोन जैक भी है, जिसे हेडफोन लगाकर सुना जा सकता है, वहीं पीसी से कनेक्ट करके ऑडियो फाइल को पीसी में सेव भी कर सकते हैं। इस पेन से लिखा भी जा सकता है।
ईबुक रीडर
अगर स्कूल बैग में किताबों का भारी-भरकम बोझ नहीं उठाना चाहते, तो ईबुक रीडर आपकी मदद कर सकता है। स्टूडेंट्स की जरूरत को देखते हुए आजकल कई सारी बुक्स ईबुक्स फॉर्मेट में उपलब्ध हैं। दोस्तो, इसमें आप बुकमा‌र्क्स भी लगा सकते हैं। हालाकि टेबलेट्स में भी ईबुक रीडर का ऑप्शन है, लेकिन कुछ डिवाइसेज खासतौर पर बुक रीडिंग के लिए ही आती हैं।
लाइवस्क्राइब पल्स या ई-डायरी
नोट्स सजो कर रखने में दिक्कत होती है, तो हाईटेक तरीके से इस परेशानी से निबटा जा सकता है। ई-डायरी इसमें आपकी मदद कर सकती है। यह आपके नोट्स को डिजिटली कनवर्ट कर सकती है। यह आपकी लिखावट को भी आसानी से पढ़ लेती है। ई-डायरी एक बार में 100 पेज सेव कर सकती है। यूजर चाहे, तो डाटा को अपनी जरूरत के मुताबिक हैंड राइटिंग या टेक्स्ट नोट्स में भी कनवर्ट कर सकता है, जिसे बाद में पीसी में सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके यूएसबी केबल के जरिए बेहद आसानी से ट्रासफर किया जा सकता है।
यूजर इस डिवाइस के जरिये नाम, तारीख या नोट्स में सेव और किसी खास शब्द को टाइप करके सर्च भी कर सकता है। इस डिवाइस की मदद से बनाए गए नोट्स का प्रिंट भी लिया जा सकता है। हाथ से लिखे नोट्स को टेक्स्ट या ओरिजनल फॉर्मेट में ईमेल भी किया जा सकता है। हाथ से बने स्केचेज भी एडिटिंग सॉफ्टवेयर, जैसे-एमएस-पेंट, कोरल ड्रा या फोटोशॉप में एडिट किए जा सकते हैं।
पॉकेट प्रिंटर
कई बार अक्सर अचानक प्रिंटर की जरूरत पड़ जाती है। अब भारी-भरकम प्रिंटर का जमाना नहीं, प्रिंटर को आप पॉकेट में रख सकते हैं। इन पॉकेट प्रिंटर्स को आप स्मार्टफोन, टेबलेट या लैपटॉप से कनेक्ट करके प्रिंट ले सकते हैं। इनसे ईमेल, वेबपेजेज का प्रिंट लिया जा सकता है। हालाकि इनकी प्रिंटिग क्वालिटी प्रोफेशनल नहीं होती लेकिन इमरजेंसी में यह आपकी हेल्प कर सकता है।
नॉयज कैंसिलेशन हेडफोन
आस-पास शादी या पार्टी में तेज म्यूजिक बजता है, जिससे पढ़ाई में दिक्कत होती है। चाहे कितना भी शोर-शराबा क्यों न हो, ये नॉयज कैंसिलेशन हेडफोंस आपके कानों तक बाहर की आवाज नहीं आने देंगे। आप मन लगाकर पढ़ सकते है।
एमपी3 प्लेयर
पढ़ाई करते-करते बोर हो गए हैं, तो एमपी3 प्लेयर आपको फ्रेश होने में मदद करेगा। घटिया क्वालिटी के एमपी3 प्लेयर लेने से बेहतर है। अच्छी क्वालिटी की डिवाइस और हेडफोन का इस्तेमाल करें, ताकि आपके कानों और दिमाग को सुकून मिले




Thursday 17 November 2011


फिल्म समीक्षा: मेरे ब्रदर की दुल्हन
कलाकार: इमरान खान, कैटरीना कैफ, अली अब्बास जफर
निर्देशक: अली अब्बास जफर
लंदन का रहने वाला लव(अली अब्बास जफर) जो ब्रेक-अप के बाद काफी उदास हो जाता है। वह निर्णय करता है की वह अब शादी करेगा। लव अपने भाई कुश(इमरान खान) को कहता है वह उसके लिए दुल्हन ढुंढे। आखिर में उसकी खोज डिंपल(कैटरीना कैफ) जा कर रुकती है, जो कि कुश के कॉलेज दोस्त रहती है। लेकिन कुछ दिनों में उसे एहसास हो होता है कि वह डिंपल से प्यार करने लगा है। कुश कैसे इस दुविधा से बाहर निकलता है यह फिल्म उसी पर आधारित है....
यह फिल्म एक तरह से भारतीय रुढ़ीवादी परंपराओं से हट कर है। कैटरीना का रोल काफी हद तक तनु वेड्स मनु के कंगना की याद दिलाती है। हिंदी सिनेमा में पिछले दिनों से कॉमेडी फिल्मों की भरमार हो गई। इसका असर कमाई पर पड़ा। यह अंजाम देख कर फिल्म मेकर अब कॉमेडी को रोमांस के साथ परोस रहे है। यह फिल्म एक इसी की बानगीं है।
कहानी से हट कर फिल्म के सितारों की बात करे तो इमरान खान ने एक बार फिर अच्छी अदाकारी की है। कैटरीना कैफ की संवाद अदायगी सहज लगने लगा है। हिंदी बोलने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। ये मेहनत इस फिल्म में साफ दिख रही है। अली अब्बास जफर पहली बार निर्देशक के तौर पर अच्छा काम किया है। लेकिन फिर भी कुछ जगह वह हंसाने में नाकामयाब रहे है। जैसे स्कुटर वाला दृश्य और रात में पीने वाला भी दृश्य, दोनों ही दृश्य जबरदस्ती के लगे है। अली अब्बास जफर ने पहले ही फिल्म तेरे बिन लादेन में अपनी अदाकारी दिखा चुके है।
फिल्म के संगीत में कोई नई बात नहीं है, लेकिन कुछ गाने रिलीज से पहले ही लोकप्रिय हो चुके है। मधुबाला और धुनकी लागे ऐसे ही कुछ गीत है। कुल मिला कर ये फिल्म अच्छी और बेहतर बन सकती थी, अगर इसमे मुंबईया तड़का नहीं लगाया गया होता। 

Saturday 8 October 2011

ye ad jo aate hai tv par uspar mere dimaag me kuch aaya hai......jab bhi break ata hai hum remote ko search karne lagte hai.....are! aap soch rahe honge channel change krne ke liye par aisa nahi hai hum sabse pehle volume kam karte hai kabhi gaur kiya hai???? nhi na.....!!! gaur kariyega.....